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चरणदास ठाकुर का सुखी परिवार था। उनका बड़ा बेटा श्याम मिल की जिम्मेदारी संभालता था और देवदास अमरीका में उच्च शिक्षा के लिए गया हुआ था। लेकिन चरणदास के सुखी परिवार पर अचानक दुख के बादल मंडलाने लगे। श्याम के दोस्तों ने उसे बुरी राहें दिखा दीं और वह भटकता चला गया। उधर देवदास अमरीका से वापस आया तो उसेने सारे परिवार को विस्मित कर दिया।
श्याम ने एक सुंदर लड़की सरस्वती से शादी कर ली, वह अपने पिता का कहना टाल सका और देवदास ने घर छोड़ दिया क्योंकि वह आजादी का जीवन बिताना चाहता था जो उसके परिवार को पसंद न था। उसके साथ एक सुंदर युवती मीरा थी जिसने उसके परिवार ही में परवरिश पायी थी।
सरस्वती वकालत पढ़ रही थी और श्याम बहुत खुश था। वह वकील बन गयी। उसे पहला केस मिला और उसे आभास हुआ कि उस पर ऐसी जिम्मेदारी आ पड़ी है जिसके बारे में उसने सपने में भी नहीं सोचा था।
और जब उसे केस की महत्ता का पता चला, उन लोगों के बारे में मालूमात प्राप्त हुयीं जो केस से सम्बंध रखते थे तो वह चिंतित हो उठी। उसे वकील के रूप में कानूनी अधिकारों की रक्षा करना थी वह एक वकी ही नहीं, एक औरत भी थी एक बहन और एक पत्नी भी। वह एक जबरदस्त दिमागी उलझन में गिरफतार हो गयी।
यह कहानी है, जिन्दगी के अनुभवों और उद्देश के साथ दूसरे के विश्वास व आस्था में जीने की, एक ऐसा विश्वास जिसकी हर इन्सान इच्छा रखता है। इस एहसास व जज्बात की सुंदर दुनिया में, जिस में टकराव होता है, आपस में मतभेद और इन सारी चीजों के पश्चात भी मकसदों में एकता होती है। एक महान संसार जो जीवन को आनंददायक बनाती है और जीने के लायक!!
(From the official press booklet)